वहीं, गौर करने वाली बात यह है ही सुबह से ही राहुकाल और भद्रा का साया मंडराने वाला है। ऐसे में शिव-भक्तों अस्मंजस की स्थिति रहेगी की आखिर पूजा किस वक्त करना सही रहेगा। इस 4वें सावन सोमवार पर भद्रा की छाया लगभग 13 घंटों तक रहने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं शिव पूजन के उत्तम मुहूर्त और भद्रा के उपाय-
चौथे सोमवार पर कब करें शिव की पूजा?
दृक पंचांग के अनुसार, सावन के चौथे सोमवार के दिन सुबह 7 बजकर 28 मिनट से राहुकाल लग रहा है, जो 9 बजकर 7 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं, इस दिन सुबह 07:55 से लकर शाम 08:48 पी एम तक भद्रा रहने वाली है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:25 से शुरू हो जाएगा। ऐसे में शिव भक्तों के लिए राहुकाल से पहले यानि 7 बजकर 28 मिनट से पूर्व पूजन कर लेना अति उत्तम साबित हो सकता है।
भद्राकाल में क्या नहीं करना चाहिए?
भद्राकाल के समय किसी भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। भद्रा के समय विवाह, त्योहारों की मुख्य पूजा, नया व्यापार, मुंडन संस्कार, ग्रह प्रवेश आदि शुभ-मांगलिक काम वर्जित माने जाते हैं।
भद्राकाल के बुरे प्रभाव से कैसे बचें?
भद्रा के 12 नामों यानि भद्रा, धन्या, विष्टि, दधिमुखी, कालरात्रि, महामारी, खरानना, भैरवी, असुरक्षयकरी, महाकाली, महारुद्रा और कुलपुत्रिका का जाप करने से भद्रा का बुरा प्रभाव कम हो सकता है।
क्या चौथे सोमवार पर भद्राकाल में पूजा होगी?
मन्यताओं के अनुसार, जब चंद्रमा कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि या मीन राशि में होता है, तब पृथ्वी पर भद्रा का वास माना जाता है। चौथे सावन सोमवार पर चंद्र देव तुला राशि में विराजेंगे। ऐसे में भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा। कहा जाता है की भद्रा का प्रभाव उसी लोक पर पड़ता है, जिस लोक में वह रहती है।