संतान की लंबी उम्र के लिए मां करती हैं ये अद्भुत व्रत, जानिये पूजा विधि

अपनी संतानों की लम्बी आयु, स्वस्थ व निरोगी जीवन की कामना के साथ महिलाएं 25 अगस्त (रविवार) को हरछठ (हलषष्ठी) का व्रत रखेंगी। हरछठ का व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा।

ऐसी मान्यता है कि हलछठ के दिन व्रती महिलाएं केवल तालाब में पैदा होने वाली वस्तुओं जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि ही खाती हैं। व्रती महिलाएं खेत में पैदा होने वाले अनाज- सब्जी का सेवन नहीं करती हैं।

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि सुबह 7.51 बजे से शुरू होकर अगले दिन 25 अगस्त को सुबह 5.31 बजे पर समाप्त होगी। षष्ठी तिथि पर वृद्धि योग, रवि योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है।

छठ मां का चित्र बनाकर गणेश व गौरी की करते हैं पूजा

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि महिलाएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं दीवार पर पारंपरिक रूप से छठ माता का चित्र बनाती हैं। उसके बाद श्री गणेश जी और माता गौरा की पूजा करती हैं।

परम्पराओं के अनुसार महिलाएं घर में ही एक छोटा सा तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं। हलषष्ठी की कथा सुनती हैं। मान्यता है कि व्रत और पूजा करने से भगवान हलधर उनकी संतानों को लंबी आयु प्रदान करते हैं।

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