ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर कई दुर्लभ योगों का संयोग बन रहा है, जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगी, वहीं इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 03:46 मिनट पर होगा।
ऐसे विधि से करें गुरु की पूजा :
गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद अपने गुरु या उनके प्रतीक स्वरूप की पूजा करते हैं। पूजा में जल, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई का उपयोग किया जाता है। श्रद्धालु अपने गुरु का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। उनसे जीवन के मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने का भी विधान है।
गुरु का स्थान देवताओं से भी पहले :
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु का स्थान समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे केवल शिक्षा ही नहीं देते। बल्कि, जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देते हैं। गुरु शिष्य को सही दिशा दिखाने वाले, अज्ञानता का नाश करने वाले और ज्ञान की रौशनी फैलाने वाले होते हैं। यही कारण है कि समाज में उनका स्थान देवताओं से भी पहले है।
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमें अपने गुरु के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का सुनहरा अवसर देता है। इस दिन हम सभी को अपने गुरु का सम्मान करते हुए उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा महत्व
गुरु पूर्णिमा का महत्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यधिक है। यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनायी जाती है। उन्होंने वेदों का संकलन और महाभारत की रचना की थी। इस दिन गुरु की पूजा करने से जीवन में ज्ञान और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।