Raksha Bandhan 2024: राज पंचक के दौरान राखी बांधने के नियम, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सावन पूर्णिमा के दिन दोपहर साढ़े 12 बजे तक भद्रा है। इसका प्रभाव डेढ़ बजे तक रहेगा। इसके बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है। वे बताते हैं कि भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और भगवान शनि की बहन है।

शनिदेव की तरह उनकी बहन भद्रा भी कठोर स्वभाव की है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए कार्य में सफलता के बदले नुकसान होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए भद्रा काल बीतने के बाद ही रक्षाबंधन पर्व मनाना श्रेयस्कर होगा।

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सावन पूर्णिमा के दिन लगने वाले भद्रा का वास पाताल लोक में है। इसलिए यह पृथ्वी पर मारक नहीं होगा। सावन पूर्णिमा के दिन अंतिम और पंचम सोमवारी होने के कारण यह दिन विशेष रूप से शुभ है। इस दिन शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है। इसलिए रक्षाबंधन दोपहर बाद से रात 8.12 बजे तक शुभ मुहूर्त में मनाया जा सकता है।

पंचक भी पड़ रहा राखी में

सावन पूर्णिमा के दिन रात 8.12 बजे से चंद्रमा कुंभ राशि में जा रहे है। इस समय पंचक भी प्रारंभ हो रहा है।पंडित जी के अनुसार पंचक नुकसानदायक नहीं है। 19 अगस्त को सुबह श्रवण नक्षत्र के बाद धनष्ठिा नक्षत्र लगने के कारण यह राज पंचक होगा। इसे अशुभ नहीं माना जाता है। बावजूद इसके राखी त्योहार मनाने वाले भाई-बहन पंचक शुरू होने के पहले रक्षाबंधन मना लें। इस दिन व्रत की पूर्णिमा भी श्रद्धालुओं के द्वारा मनाया जाएगा।

सर्वार्थ सिद्ध योग सुबह सूर्योदय से 8.10 बजे तक

रवि योग सुबह सूर्योदय से 8.10 बजे तक

शुभ मुहूर्त दोपहर 2.06 बजे से रात 8.09 बजे तक

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