Sawan 2024 : जानिये शिवरात्रि के पावन महीने सावन में सोमवार व्रत की तिथियां

इस बार का श्रावण मास की विशेषता यह है कि सावन माह का शुभारंभ बाबा भेालेनाथ का शुभ दिवस सोमवारी पूजा से हो रही है। वहीं, इसका समापन भी सोमवार को ही होगा। जबकि इस बार का सावन माह में वर्षों बाद शुभ संयोग हो रहा है।

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सोमवार से सावन मास का शुारूआत और समाप्ति विशेष रूप से शुभ है। उन्होंने बताया कि सावन माह में सोमवारी पूजा का विशेष महत्व है। क्योंकि इस वर्ष सावन माह में कुल 5 सोमवार पड़ रहा है, यानी श्रद्धालु 29 दिनों तक भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर सकेंगे। 22 जुलाई से सावन माह का शुभारंभ सोमवार को सुबह 5:37 में सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। जबकि इसका समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को हो रहा है। 18 जुलाई को शुक्ल पक्ष चुतर्देशी की क्षय तिथि है। इसलिए 19 अगस्त को ही पुर्णिमा को भी प्रवेश हो रहा है। लेकिन जैसे ही पुर्णिमा का प्रवेश हो रहा है वैसे ही भद्रा का प्रकोप लग रहा है, जो कि दिन के 1.31 बजे तक रहेगा।

सावन में पड़ने वाला 5 सोमवार व्रत

  • 22 जुलाई पहली सोमवारी व्रत
  • 29 जुलाई दूसरी सोमवारी व्रत
  • 05 अगस्त तीसरी सोमवारी व्रत
  • 12 अगस्त चौथी सोमवारी व्रत
  • 19 अगस्त पांचवी सोमवारी व्रत

शिव जी की आरती

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

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