इस साल सावन का महीना 19 अगस्त तक चलने वाला है। सावन का तीसरा सोमवार व्रत श्रावण महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं सावन तीसरे सोमवार के दिन पूजा का मुहूर्त, विधि, उपाय और रुद्राभिषेक विधि-
सावन सोमवार पूजा-विधि
स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। घर के मंदिर में में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। भोग लगाएं। शिव चालीसा पढ़ें। ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
मंत्र- ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
भोग- मखाना, दूध की बर्फी, बेर का फल, मिश्री, सफेद मिठाई, बादाम/मखाने की खीर, पंचामृत
सावन सोमवार पूजा सामग्री-लिस्ट
1. घी
2. दही
3. सफेद या पीले फूल
4. फल
5. अक्षत
6. बेलपत्र
7. धतूरा
8. भांग
9. शहद
10. गंगाजल
11. सफेद चंदन
12. काला तिल
13. कच्चा दूध
14. हरी मूंग दाल
15. शमी का पत्ता
16. मिट्टी के शिवलिंग या शिव प्रतिमा
17. गन्ने का रस
18. शिव कथा की किताब
सावन सोमवार उपाय
सावन के दूसरे सोमवार के दिन किसी गरीब को दूध, दही, चावल, चीनी व दक्षिणा दान करने से धन की प्राप्ति सुख शांति के साथ भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चाहे तो ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन भी कराएं। अखंड सौभाग्य का वरदान पाने के लिए माता पार्वती को 16 शृंगार का समान भी चढ़ाएं।
सोमवार के तीसरे सोमवार की पूजा का शुभ मुहूर्त
पहला मुहूर्त- 04:20 ए एम से 05:03 ए एम
दूसरा मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:54 पी एम
तीसरा मुहूर्त- 01:38 पी एम से 03:21 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:09 पी एम से 07:30 पी एम
अशुभ मुहूर्त
राहुकाल- 07:25 ए एम से 09:06 ए एम
यमगण्ड- 10:46 ए एम से 12:27 पी एम
दुर्मुहूर्त- 12:54 पी एम से 01:47 पी एम, 03:34 पी एम से 04:28 पी एम
गण्ड मूल- पूरे दिन
सोमवार रुद्राभिषेक-विधि
स्नान आदि से निवृत होकर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का ध्यान कर रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें। मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और उत्तर की दिशा में स्थापित करें। रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए।
गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस विधि की शुरुआत करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद गन्ने के रस, गाय के कच्चे दूध, शहद, घी और मिश्री से शिवलिंग का अभिषेक करें। हर सामग्री से अभिषेक करने से पहले और बाद में पवित्र जल या गंगाजल चढ़ाएं।
प्रभु पर बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काला तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर का फूल, कलावा, फल, मिष्ठान और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद शिव परिवार सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें। प्रभु को भोग लगाएं। पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी की आरती करें।
अंत में क्षमा प्रार्थना करें। इस क्रिया के दौरान अर्पित किया जाने वाला जल या अन्य द्रव्यों को इकट्ठा कर घर के सभी कोनों और सभी लोगों पर छिड़के और इसे प्रसाद स्वरूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। रुद्राभिषेक खासतौर पर विद्वान् पंडित से करवाना अत्यंत सिद्ध माना जाता है। हालांकि, आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इस विधि को संपूर्ण कर सकते हैं।