विनायक चतुर्थी 2024: शिव-सिद्ध योग में करें गणपति पूजा, जानें व्रत का महत्व

इस महीने सावन का विनायक चतुर्थी व्रत 8 अगस्त के दिन रखा जाएगा। अगस्त महीने का विनायक चतुर्थी व्रत शिव, सिद्ध व रवि योग के संयोग में रखा जाएगा। आइए जानते हैं श्रावण विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, उपाय और चंद्रोदय टाइम-

क्यों खास है अगस्त का सावन विनायक चतुर्थी व्रत?

अगस्त महीने के विनायक चतुर्थी व्रत पर 2 शुभ योग बन रहे हैं। सिद्ध व शिव योग को अधिकांश कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इन दोनों योग में किसी भी कार्य को करने में सफलता मिलती है। शिव योग दोपहर 12:39 बजे तक रहेगा, जिसके बाद सिद्ध योग का निर्माण होगा, जो अगले दिन दोपहर 1:46 तक रहेगा। पंचांग के अनुसार, सिद्ध योग का अर्थ है निपुण व स्वामी हैं कार्तिकेय। वहीं, शिव योग के अर्थ स्वयं भगवान शिव (पवित्रता) हैं और स्वामी मित्र हैं।

श्रावण विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त

श्रावण, शुक्ल चतुर्थी प्रारम्भ- 10:05 पी एम, अगस्त 07
श्रावण, शुक्ल चतुर्थी समाप्त- 12:36 ए एम, अगस्त 09
अवधि- 02 घण्टे 40 मिनट्स
शुभ समय- 11:07 ए एम से 01:46 पी एम
रवि योग- 05:47 ए एम से 11:34 पी एम
अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:53 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:06 पी एम से 07:28 पी एम

श्रावण पूजा-विधि

1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें

2- गणेश भगवान को पीले पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं

3- मोदक का भोग लगाएं

4- श्रावण विनायक चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ करें

5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें

6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें

7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें

8- व्रत का पारण करें

9- क्षमा प्रार्थना करें

चांद निकलने का टाइम

दृक पंचांग के अनुसार, 8 अगस्तको 08:59 ए एम पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।

मंत्र- ॐ गणेशाय नमः

उपाय- पूजा के उपरांत चन्द्र देव को दूध का अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय व्रती अपनी निगाहें नीचे रखती हैं और गणेश जी के मन्त्रों का जाप कर खुशहाली की कामना करती हैं। गणेश जी की पूजा के समय अगर पति-पत्नी साथ बैठकर ‘ॐ वक्रतुण्डाय नमः मंत्रोच्चारण का जाप करते हैं, तो वह काफी शुभकारी माना जाता है।

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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