Silver Prices in India : 2027 तक चांदी पहुंचेगी 2.46 लाख पार, दे सकती है शानदार मुनाफा

Silver Prices in India : भारत में पिछले चार महीनों से चांदी की कीमतों में जो आग लगी है, उसने हर किसी को हैरान कर दिया है। त्योहारी सीजन, खासकर धनतेरस और दिवाली की खरीदारी ने इस तेजी को और हवा दी है। आलम यह है कि पिछले साल धनतेरस पर जो 10 ग्राम चांदी का सिक्का लगभग 1,100 रुपये में मिल रहा था, इस साल उसकी कीमत 1,950 रुपये के करीब पहुंच गई है। यानी साल भर में कीमतों में लगभग 98% का उछाल, जो सोने की बढ़त को भी कहीं पीछे छोड़ चुका है।

निवेशकों से लेकर आम खरीदार तक, हर किसी के मन में अब एक ही सवाल है – क्या आसमान छूने के बाद चांदी के दाम अब जमीन पर आएंगे? दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में चांदी 1.89 लाख रुपये प्रति किलोग्राम का आंकड़ा पार कर चुकी है, तो चेन्नई में यह 2 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इस बेतहाशा तेजी के पीछे वैश्विक कारण, औद्योगिक मांग और त्योहारी खरीदारी का मिला-जुला असर है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह चमक फीकी पड़ने वाली है?

क्यों आसमान पर पहुंची चांदी की कीमत?

चांदी की कीमतों में इस असाधारण वृद्धि के पीछे कोई एक कारण नहीं है। सबसे पहले, इसकी औद्योगिक मांग में भारी इजाफा हुआ है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), सोलर पैनल्स और सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने में चांदी एक अनिवार्य धातु है। जैसे-जैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी (Green Energy) और टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है, चांदी की मांग भी बढ़ रही है।

दूसरी तरफ, मध्य-पूर्व और यूक्रेन में चल रहे तनाव और वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में निवेशकों ने इसे सोने की तरह ही एक ‘सुरक्षित निवेश’ के तौर पर देखा है। जब भी दुनिया में संकट बढ़ता है, निवेशक अपना पैसा कीमती धातुओं में लगाते हैं, जिससे उनकी मांग और कीमत दोनों बढ़ जाती हैं।

इन वैश्विक कारणों के साथ जब भारत में त्योहारी और शादियों के सीजन की मांग जुड़ गई, तो कीमतों में मानो पंख लग गए। EVs (EVs) और सोलर पैनल्स जैसे क्षेत्रों की बढ़ती जरूरत ने चांदी की डिमांड को और मजबूत किया है।

त्योहारों के बाद क्या मिलेगी राहत?

बाजार के जानकारों की मानें तो इसका जवाब ‘हां’ है, कम से कम कुछ समय के लिए। विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतों में हालिया उछाल जरूरत से ज्यादा है और बाजार ‘ओवरबॉट’ यानी अत्यधिक खरीददारी की स्थिति में है। ऑगमोंट की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी के अनुसार, “दिवाली के बाद जब त्योहारी मांग का दबाव कम होगा, तो बाजार सामान्य स्थिति में लौट सकता है। हमें अगले हफ्ते से कीमतों में कुछ नरमी देखने को मिल सकती है।”

रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी भी इस बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि इतने कम समय में इतनी बड़ी तेजी के बाद बाजार में एक तकनीकी सुधार या करेक्शन की पूरी संभावना है।

अगर निवेशक मुनाफावसूली करते हैं, अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है या वैश्विक तनाव में कमी आती है, तो चांदी की कीमतों में 10 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। Green Energy (Green Energy) की मांग भले ही लंबे समय तक बनी रहे, लेकिन शॉर्ट टर्म में त्योहारों का असर कम होने से राहत मिल सकती है।

कौन से फैक्टर गिरा सकते हैं चांदी का भाव?

त्योहारी मांग में कमी के अलावा भी कई ऐसे कारक हैं जो चांदी की चमक को फीका कर सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण EVs (EVs) या सेमीकंडक्टर जैसे प्रमुख उद्योगों की रफ्तार धीमी पड़ती है, तो चांदी की औद्योगिक मांग पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे कीमतें नीचे आ सकती हैं।

इसके अलावा, अगर इंडस्ट्री में चांदी का कोई सस्ता और बेहतर विकल्प मिल जाता है, तो इसकी मांग में बड़ी गिरावट आ सकती है, जो कीमतों को तेजी से नीचे खींच सकता है। अक्टूबर 2025 में सिल्वर ईटीएफ (Silver ETF) से लगभग 1.2 करोड़ औंस की निकासी हुई है, जो यह संकेत देता है कि निवेशक ऊंचे दामों पर अपना पैसा निकाल रहे हैं, और यह बाजार पर दबाव डाल सकता है। सोलर पैनल्स (Solar Panels) और सेमीकंडक्टर चिप्स की डिमांड में अगर कोई रुकावट आती है, तो चांदी के भाव पर और असर पड़ेगा।

तो क्या लंबी अवधि में चांदी फिर चमकेगी?

भले ही छोटी अवधि में चांदी की कीमतों में गिरावट की संभावना हो, लेकिन लंबी अवधि की तस्वीर बिल्कुल अलग दिखती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार चांदी की तेजी पहले के उछाल (1980, 2011) से अलग है, जो सिर्फ सट्टेबाजी पर आधारित थी और बाद में बुरी तरह धराशायी हो गई। मौजूदा तेजी की नींव टेक्नोलॉजी और ग्रीन एनर्जी (Green Energy) जैसी इंडस्ट्री की वास्तविक और लगातार बढ़ती मांग पर टिकी है।

मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2027 तक चांदी की कीमतें 2,46,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को भी छू सकती हैं। इसका एक बड़ा कारण सप्लाई और डिमांड का बढ़ता अंतर है। खदानों से उत्पादन मांग के मुकाबले पिछड़ रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर चांदी की कमी बनी हुई है।

इसलिए, दिवाली के बाद भले ही खरीदारों को थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन लंबी अवधि में चांदी एक चमकदार निवेश बनी रह सकती है। Silver ETF (Silver ETF) जैसे निवेश विकल्प भी लॉन्ग टर्म में फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

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