टेलीकॉम कंपनियों ने ट्राई से OTT (ओवर-द-टॉप) कम्यूनिकेशन ऐप्स को मोबाइल ऑपरेटर्स जैसी सर्विस देने के लिए लाइसेंस जरूरी करने की मांग की है।
ओटीटी ऐप्स ने किया विरोध
ट्राई से लंबी बातचीत के बाद एयरटेल ने कहा, ‘ओटीटी सर्विसेज और ऐप्लिकेशन कई गुना बढ़ गए हैं। रेग्युलेटरी बैरियर के न होने और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी वाले इंटरनेट के चलते इनकी पहुंच ग्लोबल हो गई है।’
रिपोर्ट में किसी खास ऐप का नाम न लेते हुए कहा गया है कि ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर टेलीकॉम ऑपरेटर्स की टेक्स्ट और वॉइस सर्विसेज का विकल्प बन गए हैं। दूसरी तरफ ओटीटी ऐप्स ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी ऐक्ट के तहत ही अपनी सर्विस ऑफर कर रहे हैं।
टेलीकॉम लाइसेंसिंग व्यवस्था में बदलाव लाने पर जोर
रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने मौजूदा टेलीकॉम लाइसेंसिंग व्यवस्था में बदलाव लाने पर जोर दिया है। साथ ही इन कंपनियों ने पैन इंडिया सिंगल लाइसेंस- यूनिफाइड सर्विसेज ऑथराइजेशन (नेशनल) लाने के ट्राई के प्रस्ताव का समर्थन भी किया है।
टेल्को ने कहा कि पैन इंडिया ऑथराइजेशन का प्रस्ताव 1994 के बाद से 30 वर्षों में लाइसेंसिंग रिजीम में पहला बेहद जरूरी और बड़ा बदलाव है। इससे बिजनेस करने में आसानी तो होगी, साथ ही नियम सरल होंगे और लागत में भी कटौती देखने को मिलेगी।
हालांकि, टेल्को ने यह भी कहा कि नई व्यवस्था को टेलीकॉम सेक्टर के मौजूदा स्ट्रक्चरल कोर को बाधित नहीं करना चाहिए। साथ ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को को लीज लाइन/वीपीएन ऑफर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।