जज ने फैसले में कहा कि गूगल ने खुद को दुनिया का डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने और मोनोपॉली के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं। कोर्ट का यह फैसला संभावित सुधारों को तय करने के लिए दूसरे ट्रायल का रास्ता भी साफ करता है। इसमें गूगल पैरेंट अल्फाबेट का ब्रेकअप (विघटन) भी शामिल हो सकता है। ऐसा होने पर ऑनलाइन ऐडवर्टाइजिंग की दुनिया में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जिस पर गूगल बीते कई सालों से राज करता आ रहा है। साल 2023 में अल्फाबेट की टोटल सेल में गूगल ऐड्स का 77% था।
साल 2021 में 26.3 बिलियन डॉलर का भुगतान
वाशिंगटन डी.सी. के यूएस डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता ने अपने में फैसले में लिखा कि गूगल एक मोनोपॉलिस्ट यानी एकाधिकारवादी है और उसने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए एक के रूप में काम किया है। जज ने आगे यह भी लिखा कि गूगल ऑनलाइन सर्च मार्केट का लगभग 90% और स्मार्टफोन पर 95% कंट्रोल रखता है। मेहता ने कहा कि गूगल ने साल 2021 में 26.3 बिलियन डॉलर का भुगतान किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका सर्च इंजन स्मार्टफोन और ब्राउजर पर बाइ डिफॉल्ट ऑफर हो।
फैसले के खिलाफ अपील करने की तैयारी में अल्फाबेट
अल्फाबेट ने कहा कि वह मेहता के फैसले के खिलाफ अपील करने का प्लान बना रहा है। गूगल ने एक बयान में कहा कि कोर्ट के फैसले से यह साफ हो गया है कि गूगल बेस्ट सर्च इंजन ऑफर करता है। कंपनी ने आगे यह भी कहा कि बेस्ट होने से कारण अब गूगल सर्च इंजन को आसानी से उपलब्ध नहीं कराना चाहिए।
दूसरी तरफ अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने फैसले को अमेरिकी यूजर्स के लिए एक ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि कोई भी कंपनी चाहे कितनी भी बड़ी या प्रभावशाली क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं हो सकती। बताते चलें कि टेक शेयरों में व्यापक गिरावट के बीच अल्फाबेट के शेयरों में सोमवार को 4.5% की गिरावट देखी गई।