उत्तराखंड : मरीजों को गुमराह कर रहे थे फर्जी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर, 10 डॉक्टरों पर गिरी गाज

उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने सुपर स्पेशलिटी का फर्जी दावा करने वाले 10 प्राइवेट डॉक्टरों पर जुर्माना लगाया है। इसके बाद भी न सुधरने पर इन डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी दी गई है। मेडिकल काउंसिल के नियमों के अनुसार कोई भी डॉक्टर अपनी डिग्री के आधार पर ही मरीजों का इलाज कर सकता है।

लेकिन राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे डॉक्टर हैं जो एमबीबीएस होने के बावजूद लगातार स्पेशलिस्ट या सुपर होने का दावा करते हैं। फर्जी दावे की वजह से बड़ी संख्या में मरीज इन डॉक्टरों के चंगुल में फंस रहे हैं और कई बार गलत इलाज की भी शिकायत आ रही है।

इस परेशानी को देखते हुए अब उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। इसी के तहत पिछले एक महीने के दौरान दस डॉक्टरों को पहले चेतावनी दी गई और अब उन पर पेनाल्टी ठोकी गई है।

उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ सुधीर पांडे ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सुपर स्पेशलिटी का फर्जी दावा करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है।

बड़ी संख्या में हैं फर्जी दावा करने वाले

उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल में कुल 15 हजार के करीब डॉक्टर पंजीकृत हैं और सभी अपनी डिग्री के अनुसार ही मरीजों का इलाज कर सकते हैं। लेकिन डिग्री को लेकर फर्जी दावा करने वाले डॉक्टरों की संख्या काफी अधिक बताई जा रही है।

रजिस्ट्रेशन फीस का दस गुना तक जुर्माना

नियमों के अनुसार उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल डिग्री को लेकर झूठा दावा करने वाले डॉक्टर को पहले चेतावनी जारी करती है। न सुधरने पर जुर्माना लगाया जाता है और फिर डॉक्टरों का पंजीकरण रद्द कर प्रैक्टिस पर रोक लगा दी जाती है।

डॉ सुधीर पांडे ने बताया कि डॉक्टरों पर 10 हजार से लेकर 40 हजार तक का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने बताया कि काउंसिल में डॉक्टरों के पंजीकरण की फीस 4 हजार रुपए है और किसी डॉक्टर पर अधिकतम 40 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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