राजनीति में दीपेंद्र का भविष्य अधर में, लोकसभा चुनाव लड़ने से हिचक रहे : कृष्णमूर्ति

लोकसभा चुनाव में हार के साथ ही हुड्डा पिता-पुत्र की राजनीति खत्म हो जाएगी इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ-साथ उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी चुनाव लड़ने से हिचक रहे हैं। वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। सोमवार को पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही।

पूर्व मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हलके गढ़ी-सांपला किलोई में जितने युवाओं को बिना खर्ची व पर्ची के नौकरियां मिलीं, उतनी हुड्डा ने अपने 10 साल के कार्यकाल में नहीं दी।

हुड्डा के पैतृक गांव सांघी के तीन युवा भी भाजपा सरकार के कार्यकाल में एचसीएस लगे हैं जबकि हुड्डा राज में हलके में चंद लोग ही तय करते थे कि किसके काम करने हैं किसके नहीं।

अब भी वे लोग हुड्डा पिता-पुत्र के साथ सक्रिय हैं। अगर कांग्रेस सरकार आई तो फिर यह लोग आम लोगों के काम नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि हुड्डा-पिता पुत्र चुनाव जीतने के बाद दिल्ली जाकर बैठ जाते है। ऐसे में चुनाव में गढ़ी-सांपला किलोई हलके की जनता पिता-पुत्र को सबक सिखाएगी।

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