नई दिल्ली, 17 सितम्बर, 2023 : ग्रीन टी को काफी हेल्दी माना जाता है। कहते हैं कि रोजाना सुबह अगर दिन की शुरुआत एक कप ग्रीन टी से होती है इससे सेहत को कई तरह के फायदे मिलते हैं। इसे पीने के बाद व्यक्ति तरोताजा महसूस करने लगता है, साथ ही इससे एनर्जेटिक भी महसूस होता है।
ये ड्रिंक इतनी हेल्दी है तो क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं इसे पी सकती हैं? इस आर्टिकल में जानिए कि क्या वाकई में ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं इसे पी सकती हैं या नहीं और इसके कुछ साइड इफेक्ट्स-ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ग्रीन टी के साइड इफेक्ट।
आयरन की कमी
जब बहुत ज्यादा ग्रीन टी पी जाती है तो इसकी वजह से आयरन की कमी हो सकती है। आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का कारण बन सकती है। इसमें नैचुरल टैनिन नाम का केमिकल पाया जाता है। जिससे नुकसान हो सकता है।
लगातार सिरदर्द
बहुत ज्यादा ग्रीन टी पीने से सिरदर्द हो सकता है। दरअसल, इसमें कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है, जो लोग कैफीन के प्रति संवेदनशील होते हैं उन्हें परेशानी हो सकती है। अगर आपको पहले से ही सिरदर्द है, तो ग्रीन टी पीने से यह और भी बदतर हो सकता है।
स्लीप साइकिल होती है डिस्टर्ब
ग्रीन टी में पाया जाने वाला कैफीन एक उत्तेजक पदार्थ है जो नींद को रोकता है। जो लोग कैफीन के प्रति संवेदनशील होते हैं उन्हें इसे पीने के बाद सोने में परेशानी हो सकती है। ग्रीन टी के एक्टिव तत्व शरीर को मेलाटोनिन जैसे नींद लाने वाले हार्मोन का उत्पादन करने से रोकते हैं।
ज्यादा ग्रीन टी पीने से कुछ लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की बीमारियों का खतरा हो सकता है। वहीं ग्रीन टी में ऐसे यौगिक होते हैं जो कैल्शियम अवशोषण को रोकते हैं। रोजाना ग्रीन टी का सेवन दो कप से ज्यादा ना करें।
बच्चे को होता है नुकसान
ज्यादा मात्रा में ग्रीन टी पीने से ज्यादा कैफीन स्तन के दूध में स्थानांतरित हो जाता है, जिसकी वजह से बच्चे असर पड़ता है।सदियों से ग्रीन टी को उसके फायदों से जोड़ा गया है। चाय के कई प्रकारों में से, ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा सबसे ज्यादा होती है।
इसमें काली चाय और कॉफी की तुलना में कम कैलोरी और कम कैफीन होता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ग्रीन टी पी सकते हैं, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखें।