Israel-Hamas War: हमास के कब्जे में हैं 32 बच्चे, सबसे कम उम्र का है नौ माह का बच्चा

‘ऐसी दुनिया में रहने का कोई मतलब नहीं, जहां लोगों का उनके बिस्तर से अपहरण कर लिया जाए.’ याफा अदार का यह बयान गम, गुस्से और लाचारी का प्रतीक है. उस लाचारी का जिससे युद्ध में बंधक बनाए हर शख्स का परिवार गुजर रहा है.

7 अक्टूबर को जब हमास आतंकियों ने इजराइल पर धावा बोला तो याफा की 85 वर्षीय दादी अदवा अदार भी अगवा कर ली गईं थीं. 26 दिन बाद भी उनका कोई सुराग नहीं लग सका है.

इजराइल-हमास युद्ध के दो चेहरे नजर आ रहे हैं, एक तरफ तो बम, रॉकेट और गोलीबारी है और दूसरी तरफ गम, गुस्सा और लाचारी है. 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने जो हरकत की उसका बदला लेने के लिए इजराइल ताबड़तोड़ हमले कर रहा है, गाजा पर चढ़ाई की जा चुकी है.

IDF लगातार ग्राउंड ऑपरेशन कर रही है, लेकिन बंधकों का कहीं सुराग नहीं लग रहा. उधर 240 बंधकों का सुराग न लगने का दर्द बढ़ता जा रहा है. किसी की मां आतंकियों के कब्जे में हैं तो किसी के पिता, बच्चे या पूरा परिवार. सिर्फ इजराइल ही नहीं, बल्कि अमेरिका, रूस, फ्रांस समेत न जाने कितने ही देशों में बंधकों की वापसी को लेकर मांग की जा रही है.

हमास के कब्जे में हैं 32 बच्चे, सबसे कम उम्र का है नौ माह का बच्चा

हमास आतंकियों की ओर से जो 240 लोगों को अगवा किया गया था उनमें 32 बच्चे भी शामिल हैं, इनके माता-पिता आतंकियों से बच्चों को छोड़े जाने की गुहार लगा रहे हैं. इनमें सबसे कम उम्र का बच्चा नौ माह का है, जो अपने चार वर्षीय भाई और मां के साथ हमास आतंकियों के कब्जे में है.

एक अन्य मां जिसकी दो बेटियां हमास आतंकियों के कब्जे में हैं वह बार-बार पूछ रही है कि आखिर बच्चों का अपहरण कौन करता है? इसके अलावा द सन की एक रिपोर्ट में एक 50 वर्षीय महिला मयान ने गाजा के नीचे एक सुरंग में गद्दों पर रोती अपनी बच्ची की तस्वीर आने के बाद अपनी हताशा को उजागर किया. उन्होंने कहा कि ऐसा कौन करता है, वे बच्चे हैं कोई सैनिक नहीं.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

याफा अदार ने पेरिस में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपनी दादी को हमास आतंकियों से मुक्त कराए जाने की मांग की है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह प्रियजनों को घर वापस लाने में मदद करेगा. इसी तरह फ्रांस में बंधकों की वापसी के लिए रेड बैलून कैंपेन चलाया गया है, इसमें बंधक बनाए गए लोगों की तस्वीरें लगाई गई हैं.

इस कैंपेन के प्रमुख शाय ताउब्स कहते हैं कि रेड बैलून के माध्यम से आतंक को न कहने और बंधकों को वापस लाने की अपील की जा रही है. बंधकों का मामला फ्रांस की नेशनल असेंबली तक पहुंच गया है, इजराइल की एक रेव पार्टी से अगवा की गई तमर गुटमैन की तस्वीर लेकर पहुंची एडवा गुटमैन ने असेंबली में पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई और बहन को वापस लाने की मांग की.

नहीं लग पा रहा बंधकों का कोई सुराग

इजराइल से बंधक बनाए गए तकरीबन 240 लोगों का कोई सुराग नहीं लग पा रहा है. इजराइल ही नहीं बल्कि अमेरिका की स्पेशल टीमें भी इस बारे में कुछ नहीं बता सकी हैं. यहां तक की इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी अब तक खाली हाथ है.

चौंकाने वाली बात ये है कि बंधकों का पता लगाने के लिए इजराइल ने पूरा जोर लगा रखा है, एक नहीं पांच देशेां का इंटेलीजेंस नेटवर्क एक्टिव है. फिर भी किसी भी बंधक का सुराग न मिलना अपने आप में बेहद अजीब है. मुश्किल इस बात की है इजराइल के पड़ोसी देश इजिप्ट, कतर और जॉर्डन से भी कोई खबर नहीं मिल रही है.

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