बीजिंग में भी प्रदूषण के लेवल ने पार किया खतरनाक स्तर, बीजिंग में सबसे बुरा हाल

देश की राजधानी दिल्ली प्रदूषण की वजह से दम घोंट रही है. प्रदूषण का स्तर सारी सीमाओं को तोड़ चुका है. दूसरी ओर मुंबई की आबोहवा भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. दिल्ली-मुंबई के कई इलाकों में स्थिति गंभीर है, लेकिन भारत इकलौता ऐसा देश नहीं है जो प्रदूषण से जूझ रहा है.

पड़ोसी मुल्क चीन में भी प्रदूषण कहर बरपा रहा है. बीजिंग समेत उसके आसपास के इलाके में रह रही लाखों लोगों का दम घुट रहा है.

चीन के प्रमुख शहरों में कोहरा और धुंध छाया हुआ है. अधिकारियों की ओर से मंगलवार को एक चेतावनी जारी की गई थी जिसमें विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम रहने की संभावना व्यक्त की गई थी. चीनी मौसम विभाग के मुताबिक, राजधानी बीजिंग, मेगासिटी तियानजिन और हेबेई, शेडोंग और हुबेई प्रांतों के कुछ हिस्सों में स्मॉग की स्थिति बनी हुई है.

इन शहरों में करीब 100 मिलियन (10 करोड़) आबादी निवास करती है.

दूसरी ओर बीजिंग में भी बुधवार को धूंध छाया रहा है. करीब 22 मिलियन की आबादी वाले इस शहर की सड़कों पर निकलने वाले लोग अपने मास्क लगाए हुए नजर आए. बीजिंग के कुछ इलाके में प्रदूषण को गंभीर रूप से वर्गीकृत किया गया है. चीन के वायु गुणवत्ता निगरानी फर्म IQAir के आंकड़े बताते हैं कि बीजिंग में पिछले सप्ताह के पांच दिन प्रदूषण का स्तर खतरनाक रहा.

धरती पर तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा

IQAir ने कहा है कि बुधवार को बीजिंग धरती पर तीसरा सबसे प्रदूषित शहर था. वहीं, गुरुवार को दिल्ली पहले स्थान पर थी, जबकि बीजिंग 13वें स्थान पर खिसक गया था. लिस्ट में मुंबई नौवें स्थान पर था. वायु गुणवत्ता निगरानी फर्म ने कहा कि बीजिंग में खतरनाक पीएम 2.5 कणों की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के दिशा निर्देशों से 20 गुना अधिक थी.

गंभीर बीमारी दे सकती है दस्तक

अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार, अगर पीएम 2.5 कण सांस के साथ अंदर चले जाते हैं, तो स्वास्थ्य को लेकर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. ऐसी स्थिति में सांस लेने में दिक्कत और हृदय से संबंधी दिक्कतों से पीड़ित लोगों के लिए खतरा पैदा हो सकता है.

बता दें कि बीजिंग के लिए प्रदूषण कोई बात भी नहीं है. करीब एक दशक पहले से बीजिंग नियमित रूप से स्मॉग में डूबा हुआ रहता है. प्रदूषण के खतरनाक स्तर को कंट्रोल करने के लिए चीन की ओर से 2015 में ही प्रदूषण के खिलाफ ‘वॉर ऑन पोलूशन’ की शुुरुआत की गई थी, लेकिन जमीन पर बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिला.
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *