हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णुजी की पूजा-उपासना का बड़ा महत्व है। इस शुभ अवसर पर विष्णुजी के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि पापांकुशा एकदाशी के दिन श्रीहरि की पूजा-उपासना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति से जाने-अनजाने में हुए सभी पापों का प्रायश्चित होता है। कहा जाता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से जातक को एक हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान शुभ फलों की प्राप्ति होती है। चलिए साल 2023 में पापांकुशा एकाशी की सही तिथि, पूजाविधि और महत्व जानते हैं।
पापांकुशा एकादशी कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट पर होगी और 25 अक्टूबर को दोपहर 4 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 25 अक्टूबर 2023 को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी।
पापांकुशा एकादशी की पूजाविधि:
- पापांकुशा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें। स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला साफ कपड़ा बिछाएं और विष्णुजी की प्रतिमा रखें।
- विष्णुजी को फल, फूल, अक्षत, चंदन, मोली, अक्षत और पंचामृत अर्पित करें।
- इसके बाद विष्णुजी आरती उतारें। एकादशी की कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- इस दिन ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी का महत्व: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि श्रीहरि को समर्पित मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन विष्णुजी और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना से बल, बुद्धि, विवेक और धन की प्राप्ति होती है।
साथ ही भगवान विष्णु अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं। पद्म पुराण के अनुसार, पापांकुशा एकादशी के दिन सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूता और छाते का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से यमराज के दर्शन नहीं होते हैं।