विक्टोरिया पार्क अग्निकांड : जब छिन गईं 226 परिवारों की खुशियां, तड़प-तड़पकर मर गए थे लोग

मेरठ  (आरएनएस)। दिल को झकझोर देने वाले विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की 10 अप्रैल को 17वीं बरसी है। इसमें 226 परिवारों की खुशियां छिन गई थीं। अग्निकांड के पीडि़तों के जख्म आज भी हरे हैं। उस मनहूस मंजर का जिक्र आते ही पीडि़त परिवारों की आंखें नम हो जाती हैं। लब कंपकंपाने लगते हैं और वो खौफनाक शाम जहन में ताजा हो जाती है।

चेहरे पर अपनों से बिछडऩे का गम साफ झलकता है। दर्द बयां करने के लिए अल्फाज कम पडऩे लगते हैं। अभी इंसाफ के लिए पीडि़त लड़ रहे हैं। मुआवजे की लड़ाई कोर्ट में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नियुक्त किए गए न्यायाधीश हर्ष अग्रवाल (अपर जिला जज) इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। इस अग्निकांड के मृतकों की आत्मा की शांति की लिए हर साल की तरह सोमवार को विक्टोरिया पार्क में यज्ञ और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।

ऐसे हुआ था यह दर्दनाक हादसा

विक्टोरिया पार्क में 10 अप्रैल 2006 को कंज्यूमर मेला गुलजार था। दिन ढलने लगा था। लोग घरों की तरफ निकलने वाले थे, तभी शाम 5:40 बजे  पंडाल में आग लगी और बदहवास लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर दौडऩे लगे। देखते ही देखते करीब 1500 वर्ग मीटर में लगा पंडाल शोलों में बदल गया।

लोहे के मजबूत फ्रेम मोम की तरह पिघलकर गिरने लगे। इस भीषण अग्निकांड में 65 जिंदगियां चलीं गईं। करीब 81 लोग गंभीर रूप से झुलस गए और 80 अन्य आग की चपेट में आए।

इस प्रकरण पर पीडितों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि मृतकों को उपहार कांड की तर्ज पर 20-20 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। अभी तक मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये और झुलसे हुए लोगों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा सरकार की तरफ से मिल चुका है।

शौहर को खोने के बाद की दो बेटियों की परवरिश

वैली बाजार में रहने वाली फराह जाफरी ने शौहर अतहर को इस अग्निकांड में खोया था। फराह बताती हैं कि पति तीन दिन तक अस्पताल में जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ते रहे। बाद में हार गए। उनकी मौत के बाद तमाम परेशानियां झेलते हुए उन्होंने दो बेटियों की परवरिश की।

पीड़ा झेली पर, हताश नहीं हुए

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति के महामंत्री संजय गुप्ता के परिवार के पांच सदस्य इस हादसे का शिकार हुए थे। संजय ने न सिर्फ पीडि़त परिवारों के लिए हक की लड़ाई लड़ी, बल्कि अपने परिवार के बाकी सदस्यों को भी संभाला। संजय गुप्ता ने बताया कि मुआवजे की लड़ाई अंतिम दौर में है। आने वाले तीन चार माह में निर्णय हो जाएगा।

लंबा संघर्ष किया

मनोरंजन पार्क निवासी नरेश तायल बताते हैं कि उनकी मां मालती तायल और पिता रमेश चंद्र तायल की जान इसी अग्निकांड में गई थी। मां का शव नहीं मिला। शव इस कदर जले हुए थे मां को पहचान नहीं पाए। उनका शव बदल गया था। प्रशासन ने तो नहीं माना, संघर्ष किया। बाद में कोर्ट ने माना कि उनकी मौत इसी अग्निकांड में हुई थी।  

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